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अफ़सोस मत करना

अफ़सोस मत करना


चली जाऊँ जहाँ में तुमसे पहले

तो अफसोस मत करना।

मेरी यादों की चाँदनी रात में,

सुकूँ से तुम सोए रहना।

समझ लेना कि साथ मेरा

तुमसे यहीं तक का था।

दोनों में एक को ….

पहले विदा होना ही था।

ये सौभाग्य मिल गया मुझे,

जलन तुम न मुझसे करना।

जोड़े में सजा लाल,

सुहागन सी मुझे विदा करना।

याद आए कभी मेरी तो

कमियों को याद करना,

झगड़ती तुमसे थी कितना,

केवल ये याद रखना।

पसंद मेरी तुम्हारी कोई भी,

एक सी न थी।

फिर भी बीता सबकुछ ठीक

कभी कभी मैं सोचती थी।

अफ़सोस ये रहेगा मुझे कि तुम!

अकेले तुम रह जाओगे।

बच्चे अपनी दुनियाँ में लीन,

बातें किससे करने जाओगे।

बाते करना तुम्हें बहुत भाता है,

खुश  कितने हो जाते हो।

जब घर में कोई आता है।

अपनी सरलता को सबके

सामने न ले आना।

सीधे इंसान  को फुसलाना,

लोगों को बहुत आता।

अपनी सभी दवाईयां ,

समय पर लेना।

स्वाथ्य के प्रति अपने सदा,

सजग ,सचेत रहना,

टी.वी देखते हो बहुत

पर कभी कभी ऊब जाते हो।

उसे यूँ ही चलाकर,

अक्सर सो जाते हो।

मन को बहलाने का

कोई नया रास्ता निकाल लेना।

सुनो ! मैं बताती हूँ तुम्हें……

समाज सेवा को जीवन का,

आधार बना लेना।

मासूम बच्चों की मुस्कान को,

अपने दिल में बसा लेना।


स्नेहलता पाण्डेय 'स्नेह'

नई दिल्ली

22/7/21

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2 Comments

Sanjay Ni_ra_la

30-Aug-2021 01:15 AM

Nisabd bahut सुन्दर

Reply

Alisha ansari

23-Jul-2021 08:09 AM

वाह 👏👏👏

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